महालक्ष्मी व्रत, मां लक्ष्मी की कृपा पाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह व्रत भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से आश्विन कृष्ण अष्टमी तक 16 दिनों तक चलता है। वर्ष 2025 में, यह व्रत 31 अगस्त से शुरू होकर 14 सितंबर को समाप्त होगा। इस दौरान, भक्त माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं।
महालक्ष्मी व्रत का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत करने से धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए फलदायी माना जाता है, जो अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए इसे करती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।
महालक्ष्मी व्रत 2025: पूजन विधि
महालक्ष्मी व्रत के दौरान, भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। फिर, वे माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करते हैं और उसे फूलों, फल और मिठाई से सजाते हैं। इसके बाद, वे धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर माता लक्ष्मी की आरती करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं।
व्रत के दौरान, भक्त केवल फल और दूध का सेवन करते हैं। वे दिन भर भगवान का ध्यान करते हैं और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं। व्रत के अंतिम दिन, वे गरीबों को दान करते हैं और ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं।
महालक्ष्मी पूजन में 16 का महत्व
महालक्ष्मी पूजन में 16 का विशेष महत्व है। महिलाएं 16 गांठ का एक गढ़ा तैयार करके लक्ष्मी जी को अर्पण करती हैं और सोलह बार कहानी कहती हैं। कई स्थानों पर 16 दीपक जलाए जाते हैं। यह संख्या पूर्णता और समृद्धि का प्रतीक है। आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को पुत्र की आयु, आरोग्य लाभ तथा कल्याण के लिए जीवत्पुत्रिका जितिया व हाथी पूजा एवं महालक्ष्मी पूजा का विधान है।
- व्रत 31 अगस्त से शुरू होकर 14 सितंबर तक चलेगा।
- 16 दिनों तक माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है।
- धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।